Practice Worksheet Of Bade Bhaisahab

 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

 1.एक दिन जब गुल्ली डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुंचा तो उसकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

2.  छोटे भाई को बड़े भाई की किन बातों से लघुता का अनुभव हुआ और क्यों ? 

3. बड़े भाई साहब उद्देश्य कला में माहिर थे । पर छोटा भाई मेहनत से घबराता था उसे क्या अच्छा लगता था?

4. आकर्षण छोटे भाई को कहां ले जाता था? और क्या-क्या करवाता था ?कहानी बड़े भाई साहब के आधार पर लिखिए ।

5.अधिकांश लोग पढ़े लिखे ना होने पर भी अपने व्यवहारिक ज्ञान के आधार पर जीवन में उन्नति करते हैं ,परंतु यदि उन्हें किताबी ज्ञान भी हो तो सोने पर सुहागा है , बड़े भाई साहब के आधार पर टिप्पणी कीजिए।

6. बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे महत्वपूर्ण कहां है ।और क्यों?

7. बड़े भाई साहब की स्वभावगत विशेषताएं बताइए ।

8.बड़े भाई साहब पाठ के आधार पर छोटे भाई का चरित्र चित्रण कीजिए ।

9.बड़े भाई साहब के विचार अनुसार आधुनिक शिक्षा प्रणाली 

दोषपूर्ण है वह इससे क्या - क्या दोष बताता है ।इनके बारे में आपका क्या विचार है ।

10.छोटा भाई अपने ही बनाए टाइम टेबल पर क्यों नहीं चल पाता था ? सालाना इंतिहान में छोटे भाई और बड़े भाई के परीक्षा परिणाम में क्या अंतर रहता था ?


1.निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

मगर टाइम-टेबिल बना लेना एक बात है, उस पर अमल करना दूसरी बात। पहले ही दिन उसकी अवहेलना शुरू हो जाती। मैदान की वह सुखद हरियाली हवा के हलके-हलके झोंके, फुटबॉल की वह उछल-कूद, कबड्डी के वह दाँव-घात, वॉलीबॉल की वह तेज़ी और फुरती, मुझे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही मैं सब कुछ भूल जाता। वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर मिल जाता। मैं उनके साये से भागता, उनकी आँखों से दूर रहने की चेष्टा करता, कमरे में इस तरह दबे पाँव आता कि उन्हें खबर न हो। उनकी नज़र मेरी ओर उठी और मेरे प्राण निकले हमेशा सिर पर एक नंगी तलवार-सी लटकती मालूम होती। फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है,मै फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।

 (क) टाईम- टेबल पर अमल नहीं होने के क्या कारण थे?

(ख) लेखक भाई साहब की आँखों से दूर रहने का प्रयास क्यों करता था? 

(ग) मौत और विपत्ति के बीच से क्या तात्पर्य है?

 (घ) भाई साहब को नसीहत का अवसर कब मिल जाता था?


2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

पहले ही दिन उसकी अवहेलना शुरू हो जाती। मैदान की वह सुखद हरियाली, हवा के हल्के-हल्के झोंके, फुटबॉल की वह उछल-कूद, कबड्डी के वह दाँव-पात, वॉलीबाल की वह तेज़ी और फुरती, मुझे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही मैं सब कुछ भूल जाता। वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर मिल जाता। मैं उनके साये से भागता, उनकी आँखों से दूर रहने की चेष्टा करता, कमरे में इस तरह दबै पाँय आता कि उन्हें खबर न हो। उनकी नज़र मेरी ओर उठी और मेरे प्राण निकले। हमेशा सिर पर एक नंगी तलवार-सी लटकती मालूम होती। फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियों खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था ।


(क) टाइम-टेबिल की अवहेलना के क्या-क्या कारण  थे?

(ख) बड़े भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर क्यों मिल जाता था?

(ग) लेखक भाई साहब के साए से क्यों भागना चाहता था ?


3. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

दैव न करे, आज मैं बीमार हो जाऊँ, तो तुम्हारे हाथ-पाँव फूल जाएँगे। दादा को तार देने के सिवा तुम्हें और कुछ न सूझेगा, लेकिन तुम्हारी जगह दादा हों, तो किसी को तार न दें, न घबराएँ, न बदहवास हों। पहले खुद मरज़ पहचानकर इलाज करेंगे, उसमें सफल न हुए, तो किसी डॉक्टर को बुलाएँगे। बीमारी तो खैर बड़ी चीज़ है। हम-तुम तो इतना भी नहीं जानते कि महीने भर का खर्च महीना-भर कैसे चले। जो कुछ दादा भेजते हैं, उसे हम बीस-बाइस तक खर्च कर डालते हैं और फिर पैसे-पैसे को मुहताज हो जाते हैं। नाश्ता बंद हो जाता है, घोबी और नाई से मुँह चुराने लगते हैं। लेकिन जितना आज हम और तुम खर्च कर रहे हैं, उसके आधे में दादा ने अपनी उम्र का बड़ा भाग इज्जत और नेकनामी के साथ निभाया है। और कुटुम्ब का पालन किया है, जिसमें सब मिलकर नौ आदमी थे।

 (क) किसके हाव-पाँव फूलने की बात की गई है और क्यों?

(ख) वे पैसे-पैसे के मुहताज क्यों हो जाते और पैसा खत्म होने पर उनकी क्या स्थिति होती?

 (ग) गद्यांश से दादा की किन विशेषताओं का पता चलता है?


4. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए-

उनकी सहज और तीव्र बुद्धि ने यह भांप लिया कि मुझे अपने पास होने तथा अव्वल जाने पर घमंड हो गया है। उन्होंने मुझे फटकारते हुए कहा कि घमंड तो बड़े-बड़े का नहीं रहा, तुम्हारी क्या हस्ती हैं? रावण भूमंडल का स्वामी या...मगर उसका अंत क्या हुआ? घमंड ने उसका नाम-निशान तक मिटा दिया, कोई उसे एक चुल्लू पानी देने वाला भी न बचा। आदमी और जो कुकर्म चाहे करे, पर अभिमान न करे, इतराये नहीं। अभिमान किया और दीन-दुनिया दोनों से गया।

(क) उनकी सहज और तीव्र बुद्घि ने क्या भांप लिया?

(ख) छोटे भाई को डॉटते हुए उन्होंने क्या कहा ?

(ग) किसी एक अभिमानी का उदाहरण देते हुए बताए कि उसने ऐसा क्या किया जो उसका परिणाम बुरा हुआ?

5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और चाहे आज तुम मेरी ही जमात में आ जाओ और परीक्षकों का यही हाल है, तो निस्संदेह अगले साल तुम मेरे समकक्ष हो जाओगे और शायद एक साल बाद मुझसे आगे भी निकल जाओ, लेकिन मुझमें और तुममें जो पाँच साल अंतर है, उसे तुम क्या, खुदा भी नहीं मिटा सकता। मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का जो तजुरबा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर सकते, चाहे तुम एम.ए. और डी.फिल् और डी.लिट् ही क्यों न हो जाओ। समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है। हमारी अम्मो ने कोई दरजा नहीं पास किया ओर दादा भी शायद पाँचवीं-छठी जमात के आगे नहीं गए, लेकिन हम दोनों चाहे सारी दुनिया की विद्या पढ़ लें, अम्माँ और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा। केवल इसलिए नहीं कि वे हमारे जन्मदाता हैं, बल्कि इसलिए कि उन्हें दुनिया का हमसे ज्यादा तजुरबा है और रहेगा। अमेरिका में किस तरह की राज-व्यवस्था है, और आठवें हेनरी ने कितने ब्याह किए और आकाश में कितने नक्षत्र हैं, यह बातें चाहे उन्हें न मालूम हों, लेकिन हज़ारों ऐसी बातें हैं, जिनका ज्ञान उन्हें हमसे और तुमसे ज्यादा है।

(क )  बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को स्वयं डाँटने का मौका हूँढ़ते थे या इसके लिए छोटे भाई का रवैया दोषी है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

(ख) समझ किताबे  पढ़ने से नहीं, दुनिया देखने से आती है।" आशय स्पष्ट कीजिए।

 (ग) ज्ञान हमेशा अनुभव के आगे छोटा है। गद्यांश के आधार पर सिद्ध करें।




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